सोमवार, 14 सितंबर 2009

महान बी. एस. एन. एल.

भारत सरकार का उपक्रम बी. एस. एन. एल. अपनी महान कार्यशैली के लिए अपने ग्राहकों के बीच प्रसिद्द रहा है. इसकी सेवाओं से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद हम हाजीपुर वासियों ने कुल जमा ५ साल का दुरूपयोग करते हुए इसका नया अब्ब्रेविअशन तैयार किया भाई साहब नहीं लगेगा. क्यों परेशान हो रहे हैं? जिस तरह यह देश सुख और दुःख के अनुभवों से परे रहते हुए चलाया जा रहा है उसी तरह बीएसएनएल भी पूरी तरह भगवान भरोसे चल रहा है.
बेरोजगारों का सम्मान करने में भी इसका जवाब नहीं. जिस काम कंप्यूटर फोरमेशन के लिए हाजीपुर में अधिकतम ३०० रुपए देने का प्रचलन है, इस महान कंपनी के हाजीपुर स्थित अधिकारी १५०० का बिल बनाकर १२०० रुपए कंप्यूटर मिकैनिक को दे डालते हैं. क्या परदुख कातरता है!
छुट्टी चाहे वह साप्ताहिक अवकाश ही क्यों न हो, घर जाने से पहले इसके कर्मचारी और अधिकारी सभी सेवाओं को बंद कर देते हैं और ग्राहकों को भी अमन-चैन से छुट्टी मानाने के अवसर दे जाते हैं.हमारे देश की सबसे बड़ी नदी यानी भ्रष्टाचार की गंगा बीएसएनएल से होकर भी बहती है. इतने महत्वपूर्ण तीर्थस्थल की उपेक्षा उसके बस की बात भी नहीं है. हर काम २० प्रतिशत के कमीशन पर. खुली दूकान है भाई.
अब ज्यादा क्या बोलूं? मैं क्या शेषनाग भी इसकी महिमा का गुणगान करने में अपने-आपको असमर्थ पाएंगे. खैर बांकी का गुणगान फिर कभी. अभी मुझे अपना फ़ोन कनेक्शन ठीक करवाने बी. एस. एन.एल. कार्यालय जाना है.

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