रविवार, 1 नवंबर 2009

रामभरोसे हिन्दू होटल

कई वर्ष पहले की बात है मैं उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा देने जौनपुर गया था. जौनपुर में दो स्टेशन हैं. मैं उत्तरवाले स्टेशन पर उतरा था. स्टेशन के पास एक होटल का बोर्ड लगा था. नाम था रामभरोसे हिन्दू होटल. तफ्तीश करने पर पता चला कि रामभरोसे होटल के मालिक का नाम है. खैर वह तो नाम का ही रामभरोसे था. वहां सारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त थी. लेकिन अगर आप कथित रूप से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर नज़र डालें तो पूरा-का-पूरा देश ही रामभरोसे चल रहा है. एक शायर ने कभी कहा था-बर्बादे गुलिस्तां के लिए बस एक ही उल्लू काफी है, हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा? एक नज़र केंद्रीय मंत्रिमंडल पर डाल कर देखिये और बताईये कि कितने मंत्री देशभक्त और ईमानदार हैं? आप पाएंगे कि इनमें से अधिकतर मंत्रियों की असली जगह मंत्रिमंडल की बैठकों में नहीं जेलखाने में है. विंस्टन चर्चिल ने भारत की आजादी के समय यह आशंका व्यक्त की थी कि भारत के लोग अपनी स्वतंत्रता की हिफाज़त शायद ही कर पाएंगे. मुझे खुद भी आश्चर्य हो रहा है कि देश अब तक गुलाम क्यों नहीं हुआ? जबकि इसके रग-रग में भ्रष्टाचार का दूषित खून प्रवाहित हो रहा है यह किस तरह एक-एक दिन और एक-एक साल गुजरता जा रहा है? 

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

भारत अजूबों भरा देश है मियां यहाँ कुछ भी असंभव नहीं है.
रतन, कोलकाता