रविवार, 14 फ़रवरी 2010

आओ लाशों के ढेर पर बैठकर बातचीत करें

हमारा इंतजार समाप्त हुआ.मुंबई हमले के बाद पहला हमला हो गया.इस बार निशाना बना है मुंबई के बगल का शहर पुणे.हम भारतीय हर हमले के बाद हाथ-पर-हाथ धरे बैठ जाते हैं इंतजार में कि अगला हमला कब होता है?मुंबई हमले से भी हमने कोई सबक नहीं लिया और पुणे से भी नहीं लेनेवाले.हमने मुंबई हमले के बाद घोषणा की थी कि पाकिस्तान जब तक आतंकी ढांचा नष्ट नहीं करता हम उससे वार्ता नहीं करेंगे.लेकिन हम अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आकर वार्ता करने जा रहे हैं २५ और २६ फरवरी को.कितनी स्वतंत्र और कारगर है हमारी विदेश नीति!इतने लाचार तो हम तब भी नहीं थे जब हमें संपेरों और तांत्रिकों का देश कहा जाता था.लेकिन हम वार्ता तो करेंगे चाहे अपने  लोगों  की  लाशों  पर  बैठकर  ही  क्यों  न  करनी  पड़े  क्योंकि इससे हमारे आका अमेरिका को तो ख़ुशी होगी ही साथ-ही-साथ अपने देश के मुसलमान भी खुश हो जायेंगे और हमारी  सरकार की चुनावी नैया पर लग जाएगी.

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