रविवार, 12 सितंबर 2010

एक राज्य जिसे अपनों ने लूटा

बात १९९९ की है.मुझे बिहार सरकार के अन्तर्गत शिक्षक पद के लिए परीक्षा देनी थी.जिसके लिए बोकारो जाना था.रातभर का सफ़र था.मैं परेशान था और सोंच रहा था कि अच्छा होता अगर झारखण्ड अलग राज्य बन ही जाता.मुझे कम-से-कम परीक्षा देने इतनी दूर तो नहीं आना पड़ता.अगले साल ही मेरे शहर की सड़कों पर बन गईल झारखण्ड अब खईह शक्करकंद गीत गूंजने लगा.दरअसल साल २००० के १ नवम्बर को बिहार दो भागों में बँट गया.बतौर लालू बिहार में लालू,बालू और आलू के सिवा कुछ नहीं बचा था.संयुक्त बिहार के अधिकारियों और कर्मचारियों में बिहार छोड़कर झारखण्ड कैडर में शामिल होने की जैसे होड़-सी लग गई.चारों तरफ हवाओं में यही संभावनाएं तैर रही थीं कि अब बिहार तो पिछड़ा ही रहेगा और झारखण्ड का सुपरसोनिक गति से विकास होगा जिससे यह जल्दी ही विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के काल में परिवर्तन देखने को मिला भी.सारी-की-सारी सड़कें चकाचक हो गईं.उनके बाद सत्ता में आये अर्जुन मुंडा के समय शासन में शिथिलता आने लगी.मुंडा के समय ही शुरू हुआ कभी न थमनेवाले राजनैतिक उठापटक का दौड़.भारत के इतिहास में दूसरी बार एक निर्दलीय किसी राज्य का मुख्यमंत्री बना.अनुभवहीनता और अयोग्यता के  दोहरे गुणों को धारण करनेवाले मधु कोड़ा ने सत्ता की बागडोर संभाली और प्रारंभ हुआ अनियंत्रित लूट का खेल.मंत्रियों के घरों में रूपये गिनने की मशीन लगने की चर्चा गर्म होती रही और राज्य गरीब होता गया.इस बीच शेष बिहार में सत्ता बदल चुकी थी और लालू के जंगल राज का खात्मा हो गया था.जहाँ बिहार अब कथित सुशासन की छाँव में था झारखण्ड में उम्मीद के विपरीत जंगल राज कायम हो चुका था.बीच में गुरूजी यानी शिबू शोरेन भी सत्ता में रहे लेकिन शासन के चरित्र में कोई परिवर्तन नहीं आया,जो जैसे चल रहा था चलता रहा.झारखण्ड लोक सेवा आयोग ने इस बीच २ बार अधिकारियों की बहाली की.नेताओं में अपने परिजनों और रिश्तेदारों को अधिकारी बनाने की होड़ लग गई.परीक्षा में प्राप्त अंकों में अभूतपूर्व हेरा-फेरी की गई.८ को ८० और १८ को १८० बनाया गया.भाजपा और कांग्रेस दो-२ नावों की सवारी गुरूजी को महँगी पड़ी और वे वर्तमान से भूतपूर्व बन गए.राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.कई क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन महसूस किए जाने लगे.शासन अब नजर आने लगा.पूर्व मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के मुकदमें दर्ज हुए.लोक सेवा आयोग को भंग कर दिया गया.सरकार (मुख्य सचिव) गांवों तक पहुँचने लगी.अब एक बार फ़िर से राज्य में चुनी हुई जोड़-तोड़ से बनी सरकार का गठन हो गया है.बोतल बदल गई है शराब वही है.वही भूमिपुत्र फ़िर से कुर्सियों पर काबिज हैं जिन पर अपने ही घर को लूटने का शक है.शायद यह राज्य बिगड़ने के लिए ही बना था-मुझे अपनों ने लूटा गैरों में कहाँ दम था,मेरी कश्ती वहीँ डूबी जहाँ पानी कम था.

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