बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

बापू मेरी शादी करवाओ रे

बापू मैंने तेरी इस बात पर बचपन में ही आँख खोलकर विश्वास कर लिया था कि सत्य ही ईश्वर है और आज भी मानता हूँ.लेकिन तब मुझे यह पता नहीं था कि सत्य नामक यह ईश्वर मुझे कहीं का नहीं रखेगा.मैं तब भी मानता था और आज भी मानता हूँ कि न ब्रूयात सत्यम अप्रियम का समर्थन करनेवाले लोग सत्य से भागनेवाले लोग हैं और घुमाफिराकर वे सदा ब्रूयात असत्यं प्रियम के पक्षधर हैं.
                     तुमसे पहले भी एक सत्य का दीवाना हुआ था,कबीर.रोज लुकाठी लेकर बाजार में खड़ा हो जाता था और जो भी उसके साथ चलना चाहता उसके समक्ष पागलपन भरी शर्तें रखता.जैसे जो घर फूंके आपना चलो हमारे साथ.अपने घर को तो वह पहले ही फूंक चुका था.लेकिन उसके सामने भी यह समस्या नहीं आई थी और उसकी तो तीन-तीन बीबियाँ थीं.तुम्हारी तो शादी बचपन में ही हो गई थी,मैंने आईएएस बनने के चक्कर में देर करके देर कर दी.फ़िर तुम तो राजकोट के दीवान के बेटे थे,राजसी ठाटबाट था.मेरे पास तो अपना घर भी नहीं है रे.आत्मा का घर भी किराये का और शरीर का घर भी किराये का;अपना कुछ भी नहीं.फ़िर क्यों कोई मुझे अपना बनाए?
                   बापू मेरे पास सिर्फ तेरी सत्य की पोटली है रे.अब तुम तेरी आज्ञा के बिना यह पोटली चुराने के जुर्म में मेरा अंगूठा मत कटवा देना.वैसे भी सत्य को धारण करना इस झूठ के युग में जुर्म ही तो है.देखो न लड़कीवाले आते हैं और मुझी से पूछते हैं कि आपकी उम्र कितनी है,आप क्या करते हैं?मैं बता देता हूँ जो भी सच होता है.यही कि मेरी उम्र ३४ साल है और इस समय स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहा हूँ.देश के बड़े-बड़े अख़बार मुझे छापते हैं बिना पैरवी और जान-पहचान के.
                क्या बताऊँ बापू फ़िर वह बेटीवाला लौटकर ही नहीं आता.मुझसे झूठ सुनना चाहते हैं वे शायद,सत्य को पचा नहीं पाते.पेट ख़राब हो जाता है उनका.डरते हैं कि यह सत्यवादी कहीं उनकी बेटी का जीवन भी नहीं ख़राब कर दे.बापू मैं क्या ऐसा आदमी हूँ रे?मैं तो अपनी पत्नी को बहुत प्यार करूंगा,अपनी जान से भी ज्यादा.सिर्फ सत्य से ज्यादा नहीं.सत्य से लिए तो ईसा एक बार सूली पर चढ़े थे मैं अनंत बार चढ़ जाऊँगा रे.हमारे बीच विवाद भी होंगे,झगड़े भी होंगे पर उन सबसे ज्यादा होगा प्यार और समर्पण.लेकिन पहले शादी तो हो.वैसे झगडे तो तेरे घर में होते होंगे.मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ.सच्ची पूछ रहा हूँ,बता न.
                    मैं तो थक गया हूँ सत्य बोलबोलकर और लड़कीवालों को चाय-मिठाई खिलते-पिलाते.अकेला भाई हूँ इसलिए सबकुछ मुझे ही करना पड़ता हैं न.अब तुम ही कुछ करो तो मुझे कुछ करने का मौका मिले.ऊपर बैठे-बैठे कोई चक्कर चलाओ,ऐसा चक्कर चलाओ कि बस इस साल मेरी शादी हो ही जाए.मेरी बात को दिल पे लेना;मजाक में मत उड़ा देना.वरना मेरा बांकी जीवन भी मजाक बनकर रह जाएगा रे.

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