शनिवार, 26 अप्रैल 2014

कौन सांप्रदायिक है क्या हमें अब महेश भट्ट बताएंगे?

हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। भारत का सबसे सांप्रदायिक दल कौन है यह भारत की हिन्दू-मुसलमान जनता बखूबी जान चुकी है। सोनिया गांधी बुखारी से पहले फतवा जारी करवाना और अब मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण का वादा करने से इस बारे में शक की कोई गुंजाईश ही नहीं रह गई है। भाजपा और नरेंद्र मोदी तो लगातार सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं,सीधे-सीधे सवा सौ करोड़ भारतीयों की बातें कर रहे हैं। मोदी तो यहाँ तक कह चुके हैं कि उनको पराजय मंजूर है लेकिन धर्म के आधार पर वे वोट हरगिज नहीं मांगेंगे। देश की जनता को धर्म के आधार पर विभाजित करने के प्रयास तो लगातार कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्षतावादी दल ही कर रहे हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत की जनता को कौन-कौन से दल सांप्रदायिक हैं जानने के लिए महेश भट्ट जैसे परम भोगवादी की सहायता लेनी पड़ेगी? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये वही महेश भट्ट हैं जो कभी अपनी बेटी से भी कम उम्र की शिल्पा शेट्टी की बहन शमिता शेट्टी के साथ कुर्सी पर सरेआम बैठे हुए पाए गए थे और उस समय शमिता ने पैंटी भी नहीं पहन रखी थी। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ये वही महेश भट्ट हैं जो कह चुके हैं कि अगर पूजा भट्ट उनकी बेटी नहीं होती तो वे उसी से शादी कर लेते। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यह वही महेश भट्ट है जिसने सन्नी लियोन जैसी पोर्न स्टार को बॉलीवुड में हिरोईन बना दिया और लगातार कागज के चंद टुकड़ों के लालच में युवाओं को अपनी फिल्मों में सेक्स परोसता रहा है। गांधी ने तो कहा था कि पाप से नफरत करो पापी से नहीं फिर मोदी ने तो अपने विचारों में पर्याप्त परिमार्जन कर लिया है फिर मोदी से नफरत क्यों? क्या महेश भट्ट या कांग्रेस सच्चे मायनों में गांधीवादी हैं? क्या गांधी ने गोहत्या रोकने और पूर्ण शराबबंदी का समर्थन नहीं किया था?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

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