सोमवार, 18 अप्रैल 2016

गिरगिटों के ताऊ नीतीश कुमार

मित्रों,राजनैतिक साहित्य में जंतु अलंकारों का अपना ही महत्व है. फिर बिहार का तो कहावतों की प्रचुरता में भी कोई सानी नहीं है.जैसे गंगा गए तो गंगा दास और जमुना गए तो जमुना दास या फिर जिधर देखी खीर उधर गए फिर,दोमुंहा सांप,गिरगिट.मगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश जी तो काफी पहले ही जंतु विज्ञान और अन्य कहावतों से ऊपर उठ चुके हैं.
मित्रों,आपको याद होगा कि नीतीश कुमार १८ सालों तक संघ के साथ रहे.आज नीतीश कुमार जो कुछ भी हैं वो निवर्तमान बड़े भाई लालू जी की वजह से नहीं हैं बल्कि संघ परिवार की देन है.सच तो यह भी है कि पहली बार जब लालू जी बिहार के सीएम बने थे तो भाजपा के ही समर्थन से.फिर वही नीतीश अब किस मुंह से भारत से संघ परिवार के खात्मे की बात कर रहे हैं?इससे पहले नीतीश जी लालू जी से हाथ मिला कर भी पूरी दुनिया के गिरगिटों को शर्मिंदा कर चुके है. कभी हमने कांग्रेस को ७ घूंघटों वाला चेहरा कहा था लेकिन अब समझ में नहीं आता है कि नीतीश कुमार जी के लिए उपमा कहाँ से लाऊं?लगता है कि हमें नीतीश कुमार जी की रंग बदलने की कला की तुलना दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल से करके काम चलाना पड़ेगा जो १ दिन में ही कई-कई बार रंग बदल लेते हैं.
मित्रों,इन दिनों नीतीश कुमार जी पीके अर्थात प्रशांत किशोर की सलाह पर शराबबंदी को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की मुहिम चलाने में पिले हुए हैं मानों बिहार में पहले किसी ने शराबबंदी के लिए कदम ही नहीं उठाया या फिर किसी और की सरकार ने बिहार के गाँव-गाँव में शराब की दुकानें खोल दी थी जबकि सच्चाई यह है कि कई दशक पहले कर्पूरी ठाकुर ने भी कोशिश की थी लेकिन भ्रष्ट प्रशासन के कारण होनेवाली तस्करी ने उनके सद्प्रयास पर गरम पानी फेर दिया था.सच्चाई यह भी है कि हर चौक-चौराहे पर शराब की दुकानें और किसी ने नहीं बल्कि स्वयं नीतीश कुमार की सरकार ने ही खुलवाई थी.वैसे ये बात भी किसी से छिपी हुई नहीं है कि बिहार आज भी भारत के सबसे ज्यादा भ्रष्ट राज्य है फिर नीतीश कुमार कैसे सफल होंगे?वैसे चाहते तो हम भी हैं कि बिहार सही मायनों में अल्कोहल मुक्त प्रदेश बने और भारत अल्कोहल मुक्त देश.
मित्रों,अच्छा रहेगा कि पीके की सलाह पर कोरा दिखावा करना बंद करके और केजरी सर के साथ गिरगिटपने में प्रतियोगिता करना छोड़कर नीतीश जी सरकार के कामकाज पर ध्यान दें क्योंकि इन दिनों बिहार में सारे विकासपरक कार्य बंद हैं.कहीं अदालत परिसर में बम फट रहे हैं तो कहीं निर्माण एजेंसियों के यंत्रों को आग के हवाले किया जा रहा है तो कहीं रामनवमी के जुलूस पर हमले हो रहे हैं.यहाँ तक कि विधायक की बहन भी सुरक्षित नहीं रह गयी है.दारोगा भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं.हर जगह,हर विभाग में अराजकता और कुव्यवस्था है.लगता है जैसे वह समय आ गया है कि जिस तरह से बसों में लिखा होता है कि यात्री अपने सामान की रक्षा स्वयं करें उसी तरह से बिहार के सारे सार्वजनिक स्थानों पर नीतीश कुमार उर्फ़ डेंटिंग पेंटिंग मास्टर को लिखवा देना चाहिए कि बिहारवासी अपने माल के साथ-साथ अपनी जान की भी रक्षा स्वयं करें.उधर राज्य के हैंड पम्प जिनमें भ्रष्टाचार के चलते आधे-अधूरे पाईप लगाकर पूरा पैसा बनाने का काम आजादी के बाद से ही लगातार चल रहा है सूखने लगे हैं और ईधर नीतीश कुमार जी अगले ५ सालों में सभी घरों में नलके का पानी उपलब्ध करवाने के वादे करने में लगे हैं.मतलब कि मिल तो चावल का माड़ भी नहीं रहा है और सपने बिरयानी के दिखाए जा रहे हैं क्योंकि भारत में हमेशा से न तो सपने देखने और न ही दिखाने पर कभी कोई रोक रही है.उस पर नीतीश कुमार जी तंज कस रहे हैं नरेन्द्र मोदी के ऊपर कि कालाधन का क्या हुआ?नीतीश जी को अपने हिस्से का १५ लाख भी चाहिए.कालाधन सहित सारे क्षेत्रों में जो होना चाहिए मोदी सरकार कर रही है और पूरी तरह से साफ़-सुथरे तरीके से जी-जान से कर रही है और इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि इन दिनों पिछले ७५ सालों में सत्ता में रहे सारे भ्रष्टाचारी १ ही नाव पर सवार हो गए हैं.वर्ना आज से २ साल पहले किसने कल्पना की थी कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट और लालू और नीतीश एकसाथ चुनाव लड़ेंगे? नीतीश जी चाहे जितनी सफाई से शब्दों की हेरा-फेरी कर लें सच्चाई तो यह है कि आज भारत में लोकतंत्र बिल्कुल भी खतरे में नहीं है बल्कि अगर कुछ खतरे है तो वो है छद्मधर्मनिरपेक्षता और तुष्टिकरण की गन्दी और भारतविरोधी राजनीति.नीतीश जी को इन दिनों जिसका अगुआ बनने का चस्का लगा हुआ है.

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