शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

नोटबंदी से मिलेगी भारतीय अर्थव्यवस्था को संजीविनी

मित्रों, हमने पिछले कुछ दिनों से गौर किया है कि मनमोहन सिंह समेत भारत के सारे अर्थशास्त्री मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी से होनेवाले अल्पकालिक नुकसान की चर्चा करते थक नहीं रहे हैं लेकिन इस दौरान वे इससे होनेवाले दीर्घकालीन फायदे की संभावना को चालाकी से छिपा जा रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था कुंदन की तरह चमकनेवाली है। यह सही है कि कुछ दिनों के लिए जीडीपी विकासदर में कमी आएगी लेकिन उसके बाद जब तेजी आएगी तो इस कदर आएगी कि दुनियाभर की आँखें फटी-की-फटी रह जाएंगी।
मित्रों, नोटबंदी से
1- जाली नोटों का चलन ख़त्म हो जायेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा और देश की अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। इसका असर कुछ हद तक दिखना शुरू भी हो गया है।

2- पैसे की वजह से जो अशांति फैलती थी, वह रुक गयी है। इससे आपराधिक घटनाओं में कमी आई है।

3- हवाला के जरिये जो पैसा नक्सलियों, आतंकियों और जिहादियों तक पहुँचता था, उसपर लगाम लग गयी है। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार उनको पैसा मिलना बंद हो गया है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, इस घोषणा के बाद कश्मीर में शांति का माहौल बरक़रार है। वहाँ पर फिर से स्कूल खुलने लगे हैं, दुकानें जो कई दिनों से बंद पड़ी थीं, अब शुरू हो चुकी हैं। लोग फिर से खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पत्थारबाजों में भी भारी कमी आयी है। अगर आतंकियों को पैसा मिलना पूरी तरह से बंद हो जाए तो घाटी में फिर से शांति आ सकती है।

4- बैंक ने हॉस्पिटल्स के लिए मोबाइल एटीएम शुरू किये हैं, जिससे मरीजों को पैसा निकालने के लिए कहीं और ना जाना पड़े।

5- जन- धन अकाउंट अब पैसे से भरने लगे हैं। सरकार ने यह योजना इसी लिए शुरू की थी कि लोग बचत करना सीखें और अपने भविष्य के लिए कुछ बचत कर सकें। जब से विमुद्रीकरण हुआ है, लोग अपने अकाउंट में पैसे जमा कर रहे हैं। लोग अब बैंक जाने लगे हैं। देश में तो कई ऐसे लोग भी हैं जो, इस योजना की वजह से पहली बार बैंक जा रहे हैं।

6- सिर्फ स्टेट बैंक में अब तक देश में 3 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा जमा किये जा चुके हैं। जो एक बहुत बड़ी रकम होती है।

7- सभी बड़े उद्योगपति अपने टैक्स जमा कर रहे हैं, जो पिछले कई सालों से झूठ बोलकर कम टैक्स देते थे। इससे देश का विकास होने वाला है।

8- सभी बड़े सुनार अब अपने द्वारा बेचे गए सोने के गहनों का रिकॉर्ड रख रहे हैं और उनकी एंट्री फॉर्म में कर रहे हैं।

9- जिन लोगों ने अपना टैक्स, बिजली बिल, फ़ोन बिल कई सालों से नहीं भरा हुआ था, अब वो भी अपना बिल जमा कर रहे हैं।

10- जितने भी तरीके के टैक्स होते हैं, उनकी चोरी पर लगाम लगी है और चोरी करने वालों के होश उड़ चुके हैं। डर की वजह से वे सभी अपने टैक्स जमा कर रहे हैं।

11- छोटे- छोटे दुकानदार भी अब डिजिटल तरीके से पैसे का लेन देन शुरू कर रहे हैं। जो लोग पहले केवल कैश लिया करते थे, अब वो भी पेटिएम और डिजिटल वैलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं।

12- भारत के राजकोषीय घाटे में कमी आयी है।

13- देश के सभी बिजनेसमैन अब अपने काले धन को उजागर कर रहे हैं, और टैक्स जमा कर रहे हैं। इतना ही नहीं वह पिछले टैक्स के साथ ही साथ आगे के टैक्स भी भर रहे हैं। पिछले दिनों ऐसी कई घटनाएं देखने को मिल रही हैं, जिसमें ऐसे लोग दौड़कर आ रहे हैं और अपनी संम्पति को घोषणा कर रहे हैं और अपना टैक्स भर रहे हैं।

मित्रों, इतना ही नहीं मूडीज कॉर्पोरेट फाइनेंस ग्रुप की प्रंबध निदेशक लौरा एक्रेस ने कहा, ‘कॉर्पोरेट कंपनियों की आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आएगी, क्योंकि नकदी की कमी से बिक्री की मात्रा गिरेगी। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित खुदरा विक्रेता होंगे।’ वहीं, मध्यम अवधि में नोटबंदी का कॉर्पोरेट पर असर इस बात से निर्धारित होगा कि बाजार में वापस कितनी तेजी से तरलता आती है और लेनदेन का प्रवाह वापस पहले जितना होता है। सरकार पहले जितने नोट वापस बाजार में लौटने से रोक सकती है, ताकि कैशलेस लेनदेन और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जा सके। इससे भारत में व्यापार का माहौल सुधरेगा। इससे उत्पादकों तक तेजी से भुगतान पहुंचेगा और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी, लेकिन इससे देर तक अर्थव्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा। भारत में अभी भी व्यापक तौर पर नकदी का इस्तेमाल होता है और डिजिटल भुगतान की तरफ बढ़ने के लिए उपभोक्ता की आदतों में बदलाव की जरूरत होगी।
इस फैसले से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दीर्घकालिक रूप से एक से दो फीसदी की बढ़ोतरी के रूप में इकोनॉमी को फायदा लेगा।भारत में जीडीपी का 12 फीसदी करंसी सर्कुलेशन में है, जबकि दूसरी इमर्जिंग इकोनॉमी में यह तीन से चार फीसदी है और विकसित देशों में इससे भी कम है। इस कदम के बाद ट्रांजैक्शन की बड़ी संख्या कैशलेस की ओर जाएगी। कैशलेस ट्रांजैक्शन का ट्रेल मिलना आसान है और उसके चलते इकोनॉमी के बड़े हिस्से को टैक्स के दायरे में आना आसान हो जाएगा। इस कदम से सरकार को करीब तीन लाख करोड़ का फायदा होने की उम्मींद है। यह अभी सिर्फ अनुमान है पर लॉग टर्म में यह तय है कि इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ने वाला है।
वैसे सरकार अगर चाहे तो उसके सामने उतनी ही मात्रा में नोट छापने का विकल्प भी खुला हुआ है जितना कि संचालन से बाहर हुआ है। अगर सरकार ऐसा करती है तो उसके पास विकास कार्यों के लिए भारी मात्रा में धन उपलब्ध होगा।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बैंकों के डिपॉजिट बढ़ जाएंगे और उनकी लैंडिंग क्षमता बढ़ने के साथ ही डिपाजिट्स पर लागत भी कम आएगी। जिससे उनके इंटरेस्ट रेट में कमी आसान हो जाएगी। कुछ बैंकों ने तो अपने ब्याज दर में कटौती की घोषणा भी कर दी है। एसबीआई और आईसीआईसीआई ने डिपॉजिट दरें घटा दी हैं। वहीं, प्रॉपर्टी रिसर्च कंपनी जेएलएल ने नोटबंदी के फैसले के बाद अगले छह महीने के भीतर प्रॉपर्टी की कीमतों में 25-30 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। इससे स्पष्ट कि भविष्य में लोगों के लिए अपने घर का सपना पूरा करना आसान हो जाएगा।
नोटबंदी से सेक्‍टर-बैंकिंग, प्लास्टिक करंसी, ई-कॉमर्स, डिजिटल वॉलेट, आईटी को भी फायदा होगा।  कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि देश में करीब 17 लाख करोड़ रुपए की करंसी में 3 लाख करोड़ रुपए ब्लैकमनी के रूप में हैं। केयर रेटिंग की रि‍पोर्ट के मुताबि‍क, 500 और 1000 रुपए के नोटों को बाहर करने से यह दोबारा सि‍स्‍टम में नहीं आ पाएंगे और मनी सप्‍लाई अपने आप घट जाएगी। साथ ही, देश की जीडीपी के करीब 11 फीसदी हिस्से वाले रियल एस्टेट सेक्टर, स्टॉक मार्केट और गोल्ड में ब्लैकमनी के फ्लो पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।
अप्रैल, 2017 से जीएसटी लागू होने जा रहा है। इस लिहाज से यह एक इंटीग्रेटेड स्टेप है, जिससे देश को आगे खासा फायदा मिलेगा। भारत में अभी कुल 2.87 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, लेकिन इनमें से महज 1.25 करोड़ लोग टैक्स भरते हैं। इससे यह संख्या खासी बढ़ जाएगी। टैक्‍स बेस बढ़ने से सरकार के खजाने में भी ज्यादा पैसे आएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसी देश की 10% से कम आबादी आयकर देती हो, तो वह देश प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार को समाप्त करने और बैंकिंग सेवाओं की लागत नीचे लाने में मदद मिलेगी। वैश्विक ईमानदारी इंडेक्स में भारत तेजी से ऊपर चढ़ेगी।
मित्रों, अभा भारत की 60% संपत्ति पर मात्र 1% धनकुबेरों का कब्जा है। नोटबंदी के बाद अमीर-गरीब के बीच की खाई में कमी आएगी जिससे माओवाद को धक्का लगेगा और आंतरिक शांति स्थापित होगी।

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