शुक्रवार, 2 जून 2017

क्या गोहत्या ही असली धर्मनिरपेक्षता है?

मित्रों,क्या आपको पता है कि दुनिया में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा क्या है? दुनिया में राज्य का कोई घोषित राजकीय धर्म न होना और सभी धर्मों के प्रति सर्वधर्मसमभाव रखना ही धर्मनिरपेक्षता होती है. लेकिन अपने भारत में कथित धर्मनिरपेक्षतावादी दलों की मानें तो हिंदुविरोधी कृत्यों में संलिप्त रहना ही धर्मनिरपेक्षता मानी जानी चाहिए.. दुनिया के किसी भी दूसरे देश में ऐसा नहीं होता कि बहुसंख्यक धर्म वाले की उपेक्षा की जाए और अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए दीवानगी की हद तक जाकर कुछ भी कर गुजरने की तत्परता राजनैतिक दलों में रहे. 
मित्रों,वामपंथी तो शुरू से ही हिन्दूविरोधी रहे हैं लेकिन सवाल उठता है कि इन दिनों उस कांग्रेस पार्टी को क्या हो गया है जिसे आज़ादी की लडाई के समय जिन्ना सहित भारत के तमाम मुसलमान हिन्दुओं की पार्टी मानते थे. इतिहास गवाह है कि आजादी की लडाई के समय कांग्रेस ने गोहत्या रोकने को भी एक मुद्दा बनाया था और हर शहर में इसके लिए गोरक्षिणी सभा की स्थापना की थी. इतना ही नहीं पंजा छाप से पहले गाय और बछड़ा ही कांग्रेस का चुनाव निशान था. फिर ऐसा क्या हो गया कि आज कांग्रेस के नेता सरेआम गाय की हत्या करके गोमांस का भोज आयोजित करने लगे हैं? क्या ऐसा उस आलाकमान के कहने पर किया जा रहा है जो विदेश से आई हुई गोभक्षक विधर्मी है? क्या कांग्रेस पार्टी को अब कभी भी बहुसंख्यकों का वोट नहीं चाहिए? क्या कांग्रेस ४४ सीटों से संतुष्ट नहीं है और ४ पर आना चाहती है?
मित्रों,हालाँकि कांग्रेस ने केरल के कई उन कांग्रेस नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया है जो उस दिन लाईव गोहत्या कार्यक्रम में सहभागी थे लेकिन क्या यह सही नहीं है इसी कांग्रेस की सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दिया था कि राम तो कभी हुए ही नहीं? क्या इसी कांग्रेस ने हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करनेवाला सांप्रदायिक अधिनियम नहीं बनाया था? क्या इसी कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद का नकली हौवा खड़ा करने की कुत्सित कोशिश नहीं की थी?
मित्रों,पिछले १३ सालों के कांग्रेस के कारनामों पर अगर हम सरसरी तौर पर भी नजर डालें तो पाते हैं कि कांग्रेस एक हिन्दूविरोधी राजनैतिक दल है जो भारत से उस महान हिन्दू धर्म को ही समाप्त कर देना चाहती है जिसके चलते सदियों से दुनियाभर में भारत का गौरव रहा है. हमारा दर्शन वहां से शुरू ही होता है जहाँ जाकर दुनिया के तमाम दूसरे धर्म मौन हो जाते हैं. हिन्दू धर्म पर हमला तो सन ७१२ ई. से ही जारी है जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर कब्ज़ा किया था और हिन्दुओं का भयकर नरसंहार किया था. उसके बाद सैंकड़ों बार आतताइयों ने हिंदुस्तान की धरती को हिन्दुओं के खून से रक्तरंजित किया लेकिन कुछ बात है कि वे लाख अत्याचार ढाकर भी हिन्दू धर्म को मिटा नहीं पाए. आज कहाँ हैं गोरी,तैमूर,ऐबक,बलबन,खिलजी,बाबर आदि के वंशज? कोई नामोनिशान तक बचा उनका? क्या कांग्रेस भी अपने आपको गुलाम वंश,खिलजी वंश,तुगलक वंश,मुग़ल वंश की तरह  सिर्फ इतिहास के पन्नों में देखना चाहती है?

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